ITR Refund Status Process; Income Tax Refund Delay Reason Details | टैक्स-रिफंड अब तक नहीं आया, तो चेक करें 4 वजहें: ITR वेरिफाई न करने और गलत बैंक अकाउंट से हो सकती है देरी, जानें स्टेटस चेक करने का तरीका
नई दिल्ली7 घंटे पहले
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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन खत्म होने के ढाई महीने बाद भी लाखों टैक्सपेयर्स के बैंक अकाउंट में रिफंड का पैसा नहीं पहुंचा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ज्यादातर देरी टेक्निकल गलतियों की वजह से होती है।
आमतौर पर रिटर्न फाइल करने के 3-4 हफ्ते में रिफंड आ जाता है, लेकिन अगर अमाउंट ज्यादा है तो थोड़ा वक्त लग सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर स्टेटस चेक करते रहें, तो परेशानी कम हो सकती है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की आखिरी तारीख 16 सितंबर थी।
रिफंड क्यों अटक जाता है, क्या हैं कारण
- रिफंड प्रोसेसिंग में देरी की सबसे बड़ी वजह टेक्निकल चूक होती है। पहले तो बैंक अकाउंट का वैलिडेशन चेक होता है। डिपार्टमेंट केवल प्री-वैलिडेटेड अकाउंट में ही पैसा ट्रांसफर करता है। अगर आपका अकाउंट वैलिडेट नहीं है, तो रिफंड वहीं अटक जाता है। ई-पोर्टल पर जाकर आप आसानी से ये चेक कर सकते हैं।
- दूसरी बड़ी समस्या ITR का वेरिफिकेशन न करना। रिटर्न फाइल करने के बाद 30 दिन के अंदर इसे वेरिफाई करना जरूरी है। ये ऑनलाइन ई-वेरिफाई से हो जाता है, या फिर ITR-V फॉर्म पर साइन करके स्पीडपोस्ट से भेजना पड़ता है। वेरिफाई न होने पर पूरा रिटर्न प्रोसेस ही रुक जाता है।
- तीसरा, डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस का जवाब देरी से देना। डिपार्टमेंट अगर रिटर्न में कोई कमी देखता है, तो 15 दिन के अंदर सुधार मांगता है। अगर वक्त कम लगे तो ठीक, वरना एक्सटेंशन रिक्वेस्ट कर सकते हैं। जवाब न देने से रिफंड महीनों अटक सकता है।
- चौथा कारण डिडक्शंस-एग्जेम्प्शंस में गलत क्लेम करना। जैसे हाउस रेंट अलाउंस या 80C के तहत इन्वेस्टमेंट का गलत अमाउंट दिखाना। डिपार्टमेंट इनकी स्क्रूटनी करता है। अगर शक हो तो प्रोसेसिंग रोक देता है। ऐसे में रिवाइज्ड रिटर्न फाइल करके सुधारना पड़ता है।

अगर स्टेटस में रिफंड फेल या अकाउंट नॉट वैलिडेटेड लिखा आए, तो तुरंत लॉगिन करके बैंक अकाउंट वैलिडेट कर लें। 2-3 दिन में पैसा आपके खाते में आ जाएगा।
कैसे काम करता है रिफंड सिस्टम
इनकम टैक्स रिफंड प्रोसेस डिजिटल हो चुकी है। रिटर्न फाइल होते ही CPC (सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर) में ये चेक होता है। वैलिडेशन के बाद ही रिफंड जारी होता है। पिछले सालों में ऐसे केस बढ़े हैं, क्योंकि टैक्सपेयर्स ऑनलाइन प्रोसेस से अनजान रहते हैं।
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि छोटे रिफंड (10 हजार तक) जल्दी क्लियर होते हैं, लेकिन 1 लाख से ऊपर वाले में मैनुअल चेक ज्यादा लगता है। डिपार्टमेंट ने ई-पोर्टल को और यूजर-फ्रेंडली बनाया है, ताकि टैक्सपेयर्स खुद स्टेटस ट्रैक कर सकें।
एक्सपर्ट्स की सलाह
टैक्स कंसल्टेंट्स कहते हैं कि सबसे पहले ई-पोर्टल पर लॉगिन करें और ‘माय अकाउंट’ से ‘रिफंड स्टेटस’’ चेक करें। अगर कोई नोटिस आया हो, तो 15 दिन के अंदर रिस्पॉन्स दें। बैंक अकाउंट वैलिडेट करने के लिए ‘एड बैंक अकाउंट’ ऑप्शन यूज करें। अगर रिफंड रिजेक्ट हो गया हो, तो नया अकाउंट एड करके दोबारा क्लेम करें। याद रखें, रिफंड पर कोई ब्याज नहीं मिलता अगर देरी टैक्सपेयर्स की तरफ से हो। इसलिए जल्द ही एक्शन लें।
रिफंड जल्दी पाने के टिप्स
भविष्य में परेशानी न हो, इसके लिए रिटर्न फाइल करने से पहले ही बैंक डिटेल्स वैलिडेट कर लें। वेरिफिकेशन को प्रायोरिटी दें, क्योंकि ये सबसे कॉमन गलती है। अगर क्लेम ज्यादा हैं, तो डॉक्यूमेंट्स पहले से तैयार रखें।
डिपार्टमेंट ने कहा है कि इस फाइनेंशियल ईयर में प्रोसेसिंग और तेज होगी। टैक्सपेयर्स को सलाह है कि मोबाइल एप से भी स्टेटस चेक करें, ये आसान है। कुल मिलाकर, थोड़ी सावधानी से रिफंड समय पर मिल सकता है।